🙏🥰 श्री सीताराम शरणम् मम 🥰 🙏🌺भाग 1️⃣1️⃣9️⃣(3), “श्रीकृष्णसखा ‘मधुमंगल’ की आत्मकथा-50” , श्री भक्तमाल (151) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
Niru Ashra: 🙏🥰 श्री सीताराम शरणम् मम 🥰 🙏🌺भाग >>>>>>>1️⃣1️⃣9️⃣🌺मै जनक नंदिनी ,,,भाग 3 🌱🌻🌺🌹🌱🥰🌻🌺🌹🌾💐 त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥ “वैदेही की आत्मकथा” गतांक से आगे – मैं वैदेही ! सिर झुका लिया था हनुमान नें………बहुत संकोच हो रहा था अब हनुमान को ……..जिनकी … Read more