उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)७ एवं ८ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)७ एवं ८ वे तुम तें नहिं दूरि,ज्ञान की आंखिन देखौ।अखिल विश्व भरपूर,रूप सब उनहि विसेखौ।।लौह,दारू,पाषाण में,जल थल मही आकाश।सचर अचर बरतत सबैं,जोति -बृह्म-परकास।।भावार्थ:-अब उद्धव जी गोपियों को ज्ञान की शिक्षा देते हुए कह रहे हैं कि गोपियों वे अर्थात भगवान तुमसे दूर नहीं हैं, उन्हें ज्ञान की आंखों से देखो, उनका … Read more