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November 22, 2024 3:56 am

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 33 !!- “विपरीत रति” – प्रेम साधना की एक विधाभाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 33 !!- “विपरीत रति” – प्रेम साधना की एक विधाभाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 33 !! “विपरीत रति” – प्रेम साधना की एक विधाभाग 3 पर तनिक ध्यान उन श्यामसुन्दर के गले में पड़े मणियों की माला पर गया ……उन मणियों में श्रीराधा रानी को अपना रूप दिखाई दिया ….! ओह ! मेरे प्यारे के वक्ष में ये सौत कौन हैं ? बस रूठ गयीं श्रीराधा रानी … Read more

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)९ एवं १० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)९ एवं १० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)९ एवं १० ये सब सगुन उपाधि, रूप निर्गुण है उनको।निर्विकार,निरलेप,लगत नहीं तीनों गुन को।।हाथ-पांइ नहिं नासिका,नेंन बेंन नहिं कान।अच्युत जोति प्रकाश ही,सकल बिस्व के प्रान।।भावार्थ:-उद्धव जी गोपियों से कह रहे हैं कि ये सब सगुण उपाधि जो आप बता रहीं हैं,वह उनका निर्गुण रूप ही है। निर्विकार,निरलेप हैं।न उनके हाथ हैं,न … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-चतुर्दशोध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-चतुर्दशोध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( चतुर्दशोध्याय:) गतांक से आगे – दूसरे दिन अपराह्न में निमाई को वर रूप में बरात में जाना था ….सब मित्र जन प्रातः ही निमाई के घर में आगये थे …स्नान आदि से निवृत्त निमाई को सब लोगों ने सजाना शुरू कर दिया …शचि देवि बारम्बार अपने पुत्र को … Read more