उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५१ एवं ५२ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५१ एवं ५२ कोहू कहै रे मधुप, कहा तू रस कों जानें।बौहौत कुसुम पै बैठि, सबैं आपुंन रस मानें।।आपुन सी,हम को कियौ चाहति है मति-मंद।दुविधा रस उपजाइ कें, दुखित प्रेम आनंद।।कपट के छंद सों —भावार्थ:-रे भंवरे, कोई कहता है कि तू रस को क्या जाने, फूल पर बौहौत बैठ बैठ कर … Read more