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July 7, 2025 8:43 am

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५१ एवं ५२ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५१ एवं ५२ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५१ एवं ५२ कोहू कहै रे मधुप, कहा तू रस कों जानें।बौहौत कुसुम पै बैठि, सबैं आपुंन रस मानें।।आपुन सी,हम को कियौ चाहति है मति-मंद।दुविधा रस उपजाइ कें, दुखित प्रेम आनंद।।कपट के छंद सों —भावार्थ:-रे भंवरे, कोई कहता है कि तू रस को क्या जाने, फूल पर बौहौत बैठ बैठ कर … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- पंचत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- पंचत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( पंचत्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – प्रेम की मधुरता , प्रेम का बंधन , प्रेम की शृंखला ….युक्ति सिद्धान्त और शास्त्र तत्व के विधि नियम के अन्तर्गत ये नही आते ….शास्त्रीय विधि निषेध को प्रेम मान्यता नही देता …उसके अपने शास्त्र हैं उसके अपने नियम हैं … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 40 !!-गहरो प्रेम समुद्र को भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 40 !!-गहरो प्रेम समुद्र को भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 40 !! गहरो प्रेम समुद्र कोभाग 3 हाँ राधे ! विरह प्रेम को पुष्ट करता है ………मिलन प्रेम को घटा सकता है ……….पर विरह प्रेम को बढ़ाता है …….इसलिये मैं अंतर्ध्यान हुआ हूँ ………फिर गम्भीर हो गए थे कृष्ण ……..राधे ! गोपियों जैसा प्रेम इन जगत में किसी का नही है ….न था … Read more