श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 15-( प्रेम का पागलपन – “ललिता मथुरा चलीं” ) : Niru Ashra
श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 15 ( प्रेम का पागलपन – “ललिता मथुरा चलीं” ) गतांक से आगे – पागलपन नही तो प्रेम ही क्या ? क्या पागलपन का ही दूसरा नाम प्रेम नही है ? सूरदास जी की ये पंक्ति आपको कैसी लगती है ….जरा इसे भी सुनिये – “जरत पतंग दीप में जैसे , … Read more