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November 22, 2024 2:32 am

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (008) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (008) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (008) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास की भूमिका एवं रास का संकल्प -भगवानपि०- रसो वै सः। रसं ह्येवायं लब्ध्वा आनन्दी भवति । अरे! तुमको रस चाहिए कि नहीं! आनन्द चाहिए कि नहीं? सोता रस चाहिए कि जागता रस? शान्ति की उपाधि से जो रस मिलता है वह सोत रस है … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 14 – “नगर की वो दिव्य भूमि” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 14 – “नगर की वो दिव्य भूमि” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 14 – “नगर की वो दिव्य भूमि” ) गतांक से आगे – यत्रान्तर्नगरं यावककुसुम्भरससरसविमलहिंगुलसिन्दूरलेशतेशलपिच्छलकुमकुमपंकाअंगरागवतीव प्रकटपरमानुरागवतीव, वसुमती भाती शोणितमणिमयी ।। अर्थ – प्रेम नगर की भूमि लाल रंग की है , मणियों से जटित है , यावक ( महावर ) के रस से सरस और … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !!-उद्धव को आज छ महिनें हो गए …भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !!-उद्धव को आज छ महिनें हो गए …भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !! उद्धव को आज छ महिनें हो गए …भाग 2 मुझे झूले में झूलना है ………….सावन का महीना आ गया …….पर मेरे लिये किसी नें झूला नही डाला ……………. हँसी श्रीराधारानी ………बस इतनी सी बात ……………मेरे साथ में बैठो ……..मेरे साथ झूलो …………. वो साँवरी सखी तो ख़ुशी से उछल पड़ी… ..शायद … Read more