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July 21, 2025 4:17 pm

अध्याय 3 : कर्मयोग – श्लोक 3 . 38 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग – श्लोक 3 . 38 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 38 धूमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च |यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम् || ३८ || धूमेन – धुएँ से; आव्रियते – ढक जाती है; वहिनः – अग्नि; आदर्शः – शीशा, दर्पण; मलेन – धूल से; च – भी; यथा – जिस प्रकार; उल्बेन – गर्भाशय द्वारा; आवृतः – ढका रहता है; गर्भः … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (042) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (042) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (042) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) भगवान ने वंशी बजायी बाँसुरी प्राणों को खींचती है। क्यों? बोले कि इसका स्वर प्राण से निकलता है। अगर आप वंशी की ध्वनि ध्यान से सें या वंशी को ध्यान से बजावें, तो प्राणधाम करने की जरूरत नहीं पड़ती है। प्राणायाम से जो सिद्धि मिलती … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेमनगर 58 – “जहाँ असन्त ही सन्त है”) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेमनगर 58 – “जहाँ असन्त ही सन्त है”) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेमनगर 58 – “जहाँ असन्त ही सन्त है” ) गतांक से आगे – यत्रासन्त एव सन्त : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेमनगर में ) असन्त ही सन्त माने जाते हैं ।। * हे रसिकों ! सन्त की परिभाषा क्या ? शास्त्रीय परिभाषा सीधी सादी ये … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !!-कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !!-कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 1 : Niru Ashra

👏👏👏👏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! कन्हाई की वर्षगाँठभाग 1 मैं अनन्त, संकर्षण, बलभद्र, बलराम…….पर इनसे ज्यादा प्रिय नाम मुझे कोई लगता है तो वह है …..दाऊ …….दाऊ दादा ! कितनें प्रेम से बोलते हैं यहाँ मुझ से ………..मैं इसी प्रेम को फिर पानें के लिये तो वृन्दावन आया हूँ …….सोचकर आया था कि कुछ दिन … Read more