श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌸श्लोक 4 . 8 : Niru Ashra
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌸🌸🌸🌸🌸🌸श्लोक 4 . 8🌸🌸🌸🌸 परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || ८ || परित्राणाय – उद्धार के लिए; साधूनाम् – भक्तों के; विनाशाय – संहार के लिए; च – तथा; दुष्कृताम् – दुष्टों के; धर्म – धर्म के; संस्थापन-अर्थाय – पुनः स्थापित करने के लिए; सम्भवामि – … Read more