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July 6, 2025 5:51 am

श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 20🌹🌹🌹🌹 : Niru Ashra

श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 20🌹🌹🌹🌹 : Niru Ashra

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 20🌹🌹🌹🌹 त्यक्त्वा कर्मफलासङ्गं नित्य तृप्तो निराश्रयः |कर्मण्यभिप्रवृत्तोSपि नैव किञ्चित्करोति सः || २० || त्यक्त्वा – त्याग कर; कर्म-फल-आसङ्गम् – कर्मफल की आसक्ति; नित्य – सदा; तृप्तः – तृप्त; निराश्रयः – आश्रयरहित; कर्मणि – कर्म में; अभिप्रवृत्तः – पूर्ण तत्पर रह कर; अपि – भी; न – नहीं; … Read more

!! दोउ लालन ब्याह लड़ावौ री !!-( श्रीमहावाणी में ब्याहुला उत्सव )- : Niru Ashra

!! दोउ लालन ब्याह लड़ावौ री !!-( श्रीमहावाणी में ब्याहुला उत्सव )- : Niru Ashra

!! दोउ लालन ब्याह लड़ावौ री !! ( श्रीमहावाणी में ब्याहुला उत्सव ) !!”छयौ कोलाहल विपिन में”!! गतांक से आगे – !! दोहा !! चित चोभा गोभा भयौ , नख सिख रूप निहार ।चंदमुखी चहुँ ओर ते , गावत मंगलचार ।।मंगल गावहिं विविध विधि , विधुवदनी चहुँ कोद ।छयौ कुलाहल विपिन में , भयो सबन … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 117 !!-त्रिपुरासुन्दरी द्वारा अर्जुन को “राधाभाव” का उपदेश भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 117 !!-त्रिपुरासुन्दरी द्वारा अर्जुन को “राधाभाव” का उपदेश भाग 1 : Niru Ashra

🍃🌺🍃🌺🍃🌺🍃 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 117 !! या में दो न समाहीं – अद्भुत सखीभावभाग 1 बहुत संकरी है गली प्रेम की ……….दो कैसे जायेंगें ? जी ! या तो तुम्हारा अहंकार यानि “मैं” जाएगा, या तुम्हारे “प्रियतम” जायेंगें………दो साथ कैसे ? हे वज्रनाभ ! ये प्रेमसाधना अद्भुत है ………..इसमें “पुरुष भाव” को त्यागकर “सखी भाव” से … Read more