श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान💜श्लोक 4 .)42& अध्याय 5 : कर्मयोग – कृष्णभावनाभावित कर्मश्लोक 5 . 1: Niru Ashra
Niru Ashra: श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान💜💜💜💜💜💜श्लोक 4 . 42💜💜💜💜 तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मनः |छित्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत || ४२ || तस्मात् – अतः; अज्ञान-सम्भूतम् – अज्ञान से उत्पन्न; हृत्स्थम् – हृदय में स्थित; ज्ञान – ज्ञान रूपी; असिना – शस्त्र से; आत्मनः – स्व के; छित्त्वा – काट कर; एनम् – इस; संशयम् – … Read more