🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(107–2),] “श्रीकृष्णसखा ‘मधुमंगल’ की आत्मकथा-14”, श्री भक्तमाल (114) & श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra
] Niru Ashra: 🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..1️⃣0️⃣7️⃣भाग 2 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 वन्दे विदेहतनयापदपुण्डरीकं।कैशोरसौरभसमाहृतयोगिचित्तम्।। हन्तुं त्रितापमनिशं मुनिहंससेव्यं।सन्मानिशालिपरपीतपरागपुजंम्।। दूर्बादल द्युतितनुं तरुणाब्जनेत्रं।हेमामबराम्बरविभूषषितांकम्।। कन्दर्पकोटिकमनीय किशोर मूर्ति पूर्ति मनोरथभवा भजु जानकीशम्।। “वैदेही की आत्मकथा” गतांक से आगे – मैं वैदेही ! कुबेर पुत्र नलकूबर तो पूर्ण समर्पण कर उठा था रम्भा के लिये …… … Read more