🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏[107-3],“श्रीकृष्णसखा ‘मधुमंगल’ की आत्मकथा-15”,श्री भक्तमाल (115) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra
🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..1️⃣0️⃣7️⃣भाग 3 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 वन्दे विदेहतनयापदपुण्डरीकं।कैशोरसौरभसमाहृतयोगिचित्तम्।। हन्तुं त्रितापमनिशं मुनिहंससेव्यं।सन्मानिशालिपरपीतपरागपुजंम्।। दूर्बादल द्युतितनुं तरुणाब्जनेत्रं।हेमामबराम्बरविभूषषितांकम्।। कन्दर्पकोटिकमनीय किशोर मूर्ति पूर्ति मनोरथभवा भजु जानकीशम्।। “वैदेही की आत्मकथा” गतांक से आगे – मैं वैदेही ! सोलह श्रंगार में सजी अप्सरा रम्भा !……………. वो तो जा रही थी अपनें प्रेमी से मिलनें … Read more