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November 21, 2024 9:46 pm

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! का कहूँ गोपिकान की व्यथा !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! का कहूँ गोपिकान की व्यथा !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् !! का कहूँ गोपिकान की व्यथा !! भाग 1 का कहूँ तात विदुर जी ! गोपिकान की व्यथा ! हजारों गोपिकाएँ मूर्छित होकर धरती में गिर पड़ी हैं…….उन्हें कुछ होश नही है……उसपर बसन्त की हवा और चल पड़ी……..ओहो ! श्रीकृष्ण ग्यारह वर्ष छ महिनें के हैं जब वो मथुरा गए…..ऋतु थी फागुन ऋतु ! … Read more

પુ. માડીનું ભૌતિક નામ ડો. ઇન્દ્રવદન આચાર્ય

પુ. માડીનું ભૌતિક નામ ડો. ઇન્દ્રવદન આચાર્ય

પોલીસ અધિકારીઓ શ્રી હરીસિંહ ઝાલા, શ્રી રણજીતસિંહ જાડેજા તથા શ્રી રાજેશકુમાર ભટ્ટ પુ. ગુરુદેવ શ્રી સ્વરૂપાનંદજી – “માડી” ની ખબરઅંતર પૂછવા આવ્યા અને જન્મદિવસની શુભેચ્છા પાઠવી અને માં ગાયત્રીનાં દર્શન પણ કર્યા. સૌને પુ. ગુરુદેવ પ્રતિ ખુબ જ ભાવ છે અને અત્યંત આસ્થા ધરાવે છે. પુ. માડીએ પણ ખુબ જ રાજીપામાં આવી શુભાશીર્વાદ પાઠવ્યા. એ … Read more

श्रीकृष्णचरितामृतम्-! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् !! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !! भाग 2 गोपियाँ देखती रहीं अपनें प्राणप्रिय को……..मुझे कार्य करना है मथुरा में……..कंस से सब दुःखी हैं मथुरावासी ……उनके दुःख को दूर करना है …….वाह ! क्या सामाजिक बातें कर रहे थे आज ये । हँसी गोपियाँ……..नेत्रों से अश्रु बह रहे हैं…….हिलकियाँ बंध … Read more

अवधूत : Hiran Vaishnav – (RGM)

अवधूत : Hiran Vaishnav – (RGM)

अवधूत अवधूत त्याग का प्रतीक है। वह एक मुक्त आत्मा (मुक्तात्मा) है। वह सभी सांसारिक सुखों और लोभों से दूर अध्यात्म के क्षेत्र में पूर्ण देवत्व प्राप्त करता है। अवधूत से बढ़कर कोई राज्य नहीं है। अवधूत शब्द के अक्षरों का अर्थ नीचे दिया गया है: अ: यह अक्षर अक्षर का प्रतीक है। “अक्षरा” का … Read more

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् !! “बेदर्दी तोहे दरद न आवे” – श्रीकृष्ण मथुरा गमन !! भाग 1 भवन से बाहर आये नन्दनन्दन पर बाहर का दृश्य ! ओह ! अति करुण दृश्य था ……….कोई गोपी रोते रोते ही गिर पड़ी थी ……..कोई गोपी रथ से टिक कर सुबुक रही थी …….कोई गोपी अक्रूर से बहस कर रही थी … Read more