Explore

Search

July 7, 2025 1:08 am

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- अष्टात्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- अष्टात्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( अष्टात्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – पौष का महीना चल रहा है …शीतलहर है …गंगा का जल इन दिनों कुछ ज़्यादा ही ठण्डा है । इसलिये लोग अरुणोदय के बाद ही आते हैं गंगा स्नान के लिये । हाँ जो तपस्वी और साधक श्रेणी के है … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! -“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीत भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! -“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीत भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! “गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 3 इन चरणों को हमारे वक्ष में रख दो …….जल रहा है हमारा हृदय । क्यों ? क्यों भाव खा रहे हो यार ! क्या हमारे वक्ष उन कालिय नाग के फनों से भी विष बुझे हैं …….अब बुझा दो ना इस अगन को …..हे हरि … Read more

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५५ एवं ५६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५५ एवं ५६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५५ एवं ५६ कोहू कहै रे मधुप,स्याम जोगी तुम चेला।कुबजा तीरथ जाइ,कियौ इंद्रिन कौ मेला।।मधुबन सुधि बिसराइ कें आए गोकुल माहिं।यहां सबै प्रेमी बसैं,तुम्हरे गाहक नाहिं।।पधारौ रावरे?भावार्थ:-कोई गोपी श्याम रूपी भंवरे से कह रही है ( और ऊधौ जी को कटाक्ष कर रही है) कि अरे भंवरे तेरे स्याम जोगी और … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-सप्तत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-सप्तत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( सप्तत्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – साधकों ! ध्यान कीजिये निमाई और विष्णुप्रिया के इन प्रेमपूर्ण रुदन का ….आपने मुस्कुराते खिलखिलाते श्यामा श्याम का ध्यान बहुत किया होगा …आपने श्रीरघुनाथ जी और किशोरी जी के आनन्दमय स्वरूप के दर्शन बहुत किये होंगे …..पर ये ध्यान सबसे … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !!-“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !!-“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! “गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 क्या कहा ? हमनें कहाँ प्राण लिए तुम्हारे …..झूठी गोपी । नही ….झूठे तुम हो ……….वध कर रहे हो हमारा तुम ……..फिर पूछते हो ……कैसी हो ? वाह जी ! नही …….मात्र शस्त्र से मारना ही वध नही कहलाता……..तुमनें अपनी तिरछी निगाह से हमें मारा … Read more

ગીતાબેનની વાર્ષિક પૂણ્યતિથી નિમીત્તે તેમનાં શ્રેયાર્થે ગાયત્રી યજ્ઞનું આયોજન : Manoj Acharya

ગીતાબેનની વાર્ષિક પૂણ્યતિથી નિમીત્તે તેમનાં શ્રેયાર્થે ગાયત્રી યજ્ઞનું આયોજન : Manoj Acharya

પુ. ગુરુદેવ શ્રી સ્વરૂપાનંદજી – “માડી” નાં શિષ્યા અને શ્રી મુકેશભાઇ ઓછવલાલ ગાંધી (દીક્ષિત નામ મંજુકેશાનંદ – અમદાવાદ) નાં ધર્મપત્ની સ્વ. ગીતાબેનની વાર્ષિક પૂણ્યતિથી નિમીત્તે તેમનાં શ્રેયાર્થે ગાયત્રી યજ્ઞનું આયોજન તા. 22/4/2023, શનિવાર અખાત્રીજનાં પવિત્ર દિવસે સાંજે 4 થી 7 દરમિયાન શ્રી સિધ્ધ ગાયત્રી શક્તિપીઠ, રાજકોટ ખાતે કરવામાં આવ્યું ત્યારે હાજર સૌ સત્સંગીઓએ યજ્ઞમાં આહુતિ … Read more

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५३ एवं ५४ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५३ एवं ५४ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५३ एवं ५४ कोहू कहै रे मधुप,बौहौत निरगुन इन जान्यौं।तरक वितरकन जुक्ति,बौहौत उन्हीं में मान्यौं।।पै इतनौं नहीं जानि हीं, वस्तु बिना गुन नाहिं।निरगुन भए अतीत के,सगुन सबै जग माहिं।।बूझि जो ग्यानं होई?भावार्थ:-( उद्धव जी गोपियों के साथ चलते हुए सोच रहे हैं कि ये गोपियां भ्रमर से आपस में बातें कर … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- षट्त्रिंशत् अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- षट्त्रिंशत् अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( षट्त्रिंशत् अध्याय: ) गतांक से आगे – प्रातः की वेला हुई …विष्णुप्रिया तो उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो गईं ….किन्तु निमाई सोये हुये हैं …तभी प्रिया देखती है …कि द्वार पर नवद्वीप के प्रबुद्ध लोग खड़े हैं …उनमें उनके पिता सनातन मिश्र जी भी हैं वो दौड़कर … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! – गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! – गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! “गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 1 क्या श्याम सुन्दर आगये ? एकाएक उठ गयीं थीं श्रीराधा रानी । नही आये, वे निष्ठुर कन्हाई नही आये…..सखियों नें दवे स्वर से कहा । ओह ! अभागिन हैं हम कि हमारे प्राण भी नही निकलते ! कराहते हुये श्रीराधा रानी बोली थीं । हे … Read more

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५१ एवं ५२ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५१ एवं ५२ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५१ एवं ५२ कोहू कहै रे मधुप, कहा तू रस कों जानें।बौहौत कुसुम पै बैठि, सबैं आपुंन रस मानें।।आपुन सी,हम को कियौ चाहति है मति-मंद।दुविधा रस उपजाइ कें, दुखित प्रेम आनंद।।कपट के छंद सों —भावार्थ:-रे भंवरे, कोई कहता है कि तू रस को क्या जाने, फूल पर बौहौत बैठ बैठ कर … Read more