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July 8, 2025 2:50 pm

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० कोहू कहै,इन्ह परसराम व्है माता मारी।फरसा -कंधा-धारी,भूमि -छत्रिन्ह संघारी।।सोंनित कुंड भराई कें,पोखे अपने पित्र।इन्ह के निरदै रुप में,कछु हू नाहिं विचित्र।।बिलग कहा मानिऐं।।भावार्थ:-गोपियां कह रही हैं कि, कोई कहते हैं कि इन्होंने परशुराम होय कै,अपनी माता को मारा था और फरसा कंधे पर धारण करके पूरी भूमि को क्षत्रियों … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- नवविंशति अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- नवविंशति अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( नवविंशति अध्याय:) गतांक से आगे – पिता जी ! विष्णुप्रिया के यहाँ आज सनातन मिश्र जी आये हैं …विष्णुप्रिया उनको देखती ही दौड़ पड़ती है । अपने हृदय से लगाकर भावुक हो उठते हैं सनातन मिश्र जी ….शचि देवि आदर करके जल आदि देती हैं …..वो प्रणाम करके … Read more

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3 : Niru Ashra

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3  : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !! प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3 श्याम सुन्दर ! ओ श्याम सुन्दर ! हाँ क्या है ? श्याम सुन्दर ! मेरे केश बिखर गए हैं इन्हें बाँध दो ! श्याम सुन्दर ! ओ ! फिर दूसरी गोपी नें पुकारना शुरू किया । मेरे नाचते नाचते पसीनें आरहे हैं……अपनी पीताम्बरी से हवा … Read more