उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० कोहू कहै,इन्ह परसराम व्है माता मारी।फरसा -कंधा-धारी,भूमि -छत्रिन्ह संघारी।।सोंनित कुंड भराई कें,पोखे अपने पित्र।इन्ह के निरदै रुप में,कछु हू नाहिं विचित्र।।बिलग कहा मानिऐं।।भावार्थ:-गोपियां कह रही हैं कि, कोई कहते हैं कि इन्होंने परशुराम होय कै,अपनी माता को मारा था और फरसा कंधे पर धारण करके पूरी भूमि को क्षत्रियों … Read more