उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५९ एवं ६० : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५९ एवं ६० कोहू कहै रे मधुप,कहत अनुरागी तुम्ह कों।कोंनें गुनधों जानि? परम अचरज है हमको।।कारौ तन अति पातकी,मुख पियरौ जग निंद।गुन औगुन सब आपने,आपु हिं जांन मलिंद।।– देखि,लै आरसी –भावार्थ:गोपियां भवंरे के बहाने ऊधौ जी को सुना रही है कि अरे भंवरे, कोई तो तुम्हें अनुरागी कहता है लेकिन हमें … Read more