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October 22, 2025 6:43 am

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹 🌺। भ्रभरगीत महात्म्य-२🌺 🌻 गोस्वामी श्री हरिरायचरणजी आज्ञा करते “गोपिका गुरुवः भोक्ताः”👉 गोपियाँ पुष्टिजनों की गुरु है, पुष्टिभक्ति निष्काम, अहैतुकी, निःस्वार्थ है वैष्णवों को सिर्फ श्रीप्रभु के सुख की ही चाह होती है। 🌺 (नवधा भक्ति) संयोगात्मक – वियोगात्मक प्रेम जिसमें आतुरता प्रभु तरस, प्यास, व्याकुलता बिना प्रभु … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-षट्चत्वारिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-षट्चत्वारिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( षट्चत्वारिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – प्रिया ! बहु ! चल गंगा स्नान करके आते हैं ….. ब्रह्ममुहूर्त का समय है …अभी अंधकार ही है ….इसी समय शचि देवि नित्य गंगा नहाने जाती थीं …विष्णुप्रिया दो दिनों से गयी नही …वो अस्वस्थ है …ज्वर ग्रस्त है … Read more

“श्रीराधाचरितामृतम्” 44 !!-महारासभाग 2 : Niru Ashra

“श्रीराधाचरितामृतम्” 44 !!-महारासभाग 2 : Niru Ashra

🙏🙏🙏🙏!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 44 !! महारासभाग 2 हे वज्रनाभ ! यही महारास है । कोई नही है इस वृन्दावन में आज …………….. न कोई पुरुष है, न कोई स्त्री है, न कोई कृष्ण है न ही गोपी हैं । बस रस है …….मात्र एक ही तत्व है इस वृन्दावन में ……वो है रस । रस ही … Read more