🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹 🌺। भ्रभरगीत महात्म्य-२🌺 🌻 गोस्वामी श्री हरिरायचरणजी आज्ञा करते “गोपिका गुरुवः भोक्ताः”👉 गोपियाँ पुष्टिजनों की गुरु है, पुष्टिभक्ति निष्काम, अहैतुकी, निःस्वार्थ है वैष्णवों को सिर्फ श्रीप्रभु के सुख की ही चाह होती है। 🌺 (नवधा भक्ति) संयोगात्मक – वियोगात्मक प्रेम जिसमें आतुरता प्रभु तरस, प्यास, व्याकुलता बिना प्रभु … Read more