!! राधा बाग में – “श्रीहित चौरासी” !!-( ब्याहुला – “रुचिर राजत वधू कानन किशोरी” ) : Niru Ashra
!! राधा बाग में – “श्रीहित चौरासी” !! ( ब्याहुला – “रुचिर राजत वधू कानन किशोरी” ) गतांक से आगे – इस “रस मार्ग” में उत्सव ही जीवन है । नित उत्सव , नित मंगल , नित शृंगार , नित नवीन भाव । ये उपासना उत्सव की है , उत्सव से ही उपास्य को रिझाना … Read more