महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (006) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (006) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास की भूमिका एवं रास का संकल्प -भगवानपि०-2 लीलामाधुरी क्या है? ‘प्रातर्व्रजात् व्रजत आव्रजतश्च सायं’- जिस समय प्रातः व्रज से निकलते हैं और सायं वनसे लौटते हैं, क्या छटा है, क्या लीला करते हैं। झूम-झूमकर चलते हैं- झूमि झूमि पग धरत धरणिपर गति मातंग लजावहि, … Read more