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February 5, 2025 2:46 pm

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (006) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (006) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (006) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास की भूमिका एवं रास का संकल्प -भगवानपि०-2 लीलामाधुरी क्या है? ‘प्रातर्व्रजात् व्रजत आव्रजतश्च सायं’- जिस समय प्रातः व्रज से निकलते हैं और सायं वनसे लौटते हैं, क्या छटा है, क्या लीला करते हैं। झूम-झूमकर चलते हैं- झूमि झूमि पग धरत धरणिपर गति मातंग लजावहि, … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 11 – “अब दिव्य गोपुर का वर्णन” )- : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 11 – “अब दिव्य गोपुर का वर्णन” )- :  Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 11 – “अब दिव्य गोपुर का वर्णन” ) गतांक से आगे – यत्र शिखिरमणिशकलकलितललितोन्नतशिखर शेखर सहस्रसुन्दरं रुचिरारुणरुचितुन्दिलकुरुविंदमणिमयमेकमेव रागानुगमनं नाम रागामरमहीरुहांकुरुमिव गोपुरम् ।। अर्थ – उस परकोटा में जो गोपुर का द्वार है …वह बहुत विशाल है । उस द्वार का नाम रखा गया है … Read more

!!” श्रीराधाचरितामृतम्” 93 !!-प्रेमीयों की विचित्र अभिलाषाएं भाग 2 : Niru Ashra

!!” श्रीराधाचरितामृतम्” 93 !!-प्रेमीयों की विचित्र अभिलाषाएं भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 93 !! प्रेमीयों की विचित्र अभिलाषाएंभाग 2 मैं उन्हें देखता रहता हूँ ……”ये आशा त्याग दो” – कहता हूँ । वो बेचारी गोपियाँ मुझे देखतीं ………फिर पूछती – क्यों ? मैं उत्तर देता……….”आशा दुःख का कारण है”……. आशा रहेगी तो दुःख भी रहेगा …….इसलिये आप लोग आशा को ही त्यागिये कि ……श्रीकृष्ण आयेंगें……. … Read more