महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (012) & (013) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (012) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास के हेतु, स्वरूप और काल ब्रह्मानन्द शान्त आनन्द है। आप कभी गंगा किनारे बैंठे- पर धारा शान्त हो, आप उसको थोड़ी देर देखते रहिये मन एकाग्र हो जाएगा। समाधि लग जाएगी। गंगा की धारा में मन को एकाग्र करने की शक्ति है। पर जिस … Read more