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July 20, 2025 4:55 pm

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय ‘रन्तुं मनश्चक्रे’ का दो अर्थ है- रन्तुं मनः कृतवान् चक्रे माने कृतवान् रमने का मन किया माने रमण का संकल्प किया और दूसरा अर्थ होता है- अमना भगवान् ने ‘रन्तुं मनश्चक्रे के कृतवान् निर्मितवान् मन बनाया। चंद्रमा ने कहा- यह … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) गतांक से आगे – यत्राशिरस एव सहस्रशिरस : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) बिना सिर वाले ही हजार सिर वाले हैं । ****हे रसिकों ! इस प्रेम नगर में … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 : Niru Ashra

🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !! गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 गहवर वन…..बरसानें का गहवर वन…..यहीं मिलते थे युगलवर । यहाँ की वृक्ष लताएँ, मोर अन्य पक्षी सब साक्षी हैं…..प्रेम मिलन के । “मैं रंगदेवी” प्रिय सखी श्रीराधारानी की । सारंग गोप और करुणा मैया की लाडिली बेटी …….रंगदेवी मैं । मेरे पिता … Read more