अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 27 : Niru Ashra
अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 27 प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वशः |अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || २७ || प्रकृतेः – प्रकृति का; क्रियमाणानि – किये जाकर; गुणैः – गुणों के द्वारा; कर्माणि – कर्म; सर्वशः – सभी प्रकार के;अहङ्कार-विमूढ – अहंकार से मोहित; आत्मा –आत्मा; कर्ता – करने वाला; अहम् – मैं हूँ; इति … Read more