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July 21, 2025 6:36 am

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 27 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 27 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 27 प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वशः |अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || २७ || प्रकृतेः – प्रकृति का; क्रियमाणानि – किये जाकर; गुणैः – गुणों के द्वारा; कर्माणि – कर्म; सर्वशः – सभी प्रकार के;अहङ्कार-विमूढ – अहंकार से मोहित; आत्मा –आत्मा; कर्ता – करने वाला; अहम् – मैं हूँ; इति … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (036) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (036) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (036) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास-रात्रि में पूर्ण चंद्र का दर्शन जिसने न तो चिकोटी की तकलीप देखी और न प्यार का मजा देखा- जिसने यह देखा कि यह हमारा प्यारा है, उसकी क्रिया पर नजर नहीं गयी, उस पर नजर गयी। एक बार तमाचा जड़ दिया उसने और एकबार … Read more

।। एक अद्भुत काव्य -“प्रेम पत्तनम्” ।।-( प्रेम नगर 48 – “जहाँ वियोग ही संयोग है” ) : Niru Ashra

।। एक अद्भुत काव्य -“प्रेम पत्तनम्” ।।-( प्रेम नगर 48 – “जहाँ वियोग ही संयोग है” ) : Niru Ashra

।। एक अद्भुत काव्य -“प्रेम पत्तनम्” ।। ( प्रेम नगर 48 – “जहाँ वियोग ही संयोग है” ) गतांक से आगे – यत्र वियोग एव संयोग : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) वियोग में ही संयोग है । उद्धव सन्देश लेकर गये हैं बृज । सायंकाल बीत रहा है ….किन्तु रात्रि … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !!-कोयला भई न राख भाग 3: Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !!-कोयला भई न राख भाग 3: Niru Ashra

🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !! कोयला भई न राखभाग 3 महर्षि ! उछल पडीं थीं श्रीराधारानी ……….क्या सच में मेरे प्रियतम नें विवाह कर लिया ! ओह ! मैं कितनी खुश हूँ ………..मैं आज बहुत प्रसन्न हूँ ……….सच ! मेरे प्राणधन नें विवाह कर लिया । अब ठीक है …………अब उनकी सेवा अच्छी होगी ………….जब … Read more