Explore

Search

July 20, 2025 12:55 pm

मुर्झा चांद, जलती राख और मैं : अंजली नंदा

हीकुछ कहने को बेताब है खामोशी अपने आप में एक किताब है।रात्रि की तन्द्रा को (निरिख्यन)अवलोकन करते-करते मैंने देखा जन्ह अब मध्य आकाश में (तक) उठ गया है।झिंकरी की झिंग झिंग (जिन जिन) स्वर संग को रजनीगंधा का उछलती सुगंध निशीथिनी का उम्र सुचित कर रहा हे(की सूचना दे रहा हे )(यह दर्शा रहा है)। … Read more

🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(86-3),मिथिला के भक्त – 16,श्री भक्तमाल (055) तथा श्रीमद्भगवद्गीता: नीरु

Niru Ashra: 🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..8️⃣6️⃣भाग 3 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 मैं वैदेही ! मय नामक दानव आ टकराया …………..पर राक्षस राज के नाम से तो रावण नें ख्याति पाई थी ……………”मय” समझ गया कि अपनी पुत्री का कन्यादान करनें में ही मेरी भलाई है ………..कन्यादान कर दिया । और … Read more

🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(86-2), मिथिला के भक्त – 15,श्री भक्तमाल (053) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा

Niru Ashra: 🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..8️⃣6️⃣भाग 2 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 मैं वैदेही ! तप करना आरम्भ किया “मय” नें …..6 हजार वर्ष तक तप किया ……..विधाता प्रसन्न हुए………..हे मय ! वो अप्सरा है वो कैसे तुम्हारे साथ रह सकती है ………..आप जानों विधाता ….मुझे तो वही अप्सरा चाहिये ……….”मय” … Read more