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July 8, 2025 9:32 am

उद्धव गोपी संवाद:( भ्रमर गीत)३५ एवं ३६ – Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:( भ्रमर गीत)३५ एवं ३६ – Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:( भ्रमर गीत)३५ एवं ३६ कोहू कहै ए निठुर, इन्हें पातक नहीं व्यापै।पाप-पुंन के करनहार,ए आप-हि-आपैं।।इन्ह के निरदै रूप में,नाहिंन कोऊ चित्र।पै प्यावत प्रानन हरे,पुतनां बाल चरित्र।।मित्र ए कौन के ?भावार्थ: कोई गोपी कह रही है कि ये तो निठुर हैं, इन्हें पातक नहीं लगै अर्थात इन्हें किसी की कोई परवाह नहीं,ये आप … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- सप्तविंशति अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- सप्तविंशति अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( सप्तविंशति अध्याय: ) गतांक से आगे – रात्रि में आज कृष्ण लीला का आयोजन होगा ….ये आयोजन शचि देवि की बहन के घर में है ….चन्द्रशेखर आचार्य ये शचि देवि के बहनोई लगते हैं …पड़ोस में ही हैं …इनके ही घर में विष्णुप्रिया जा सकती हैं ….शायद इसलिये … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!- प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!- प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !! प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 1 प्रेम में “मैं” कहाँ ? और जहाँ “मैं” वहाँ प्रेम कहाँ ? हे वज्रनाभ ! प्रेमसाधना का सबसे बड़ा विघ्न यही तो है “मैं”…..अहंकार …….जब प्रेम पथ में अहंकार आजाये तब उस उपासक का पतन ही होता है …….. महर्षि शाण्डिल्य वज्रनाभ को समझा रहे … Read more