महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (033) : નીરુ આશરા
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (033) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय भगवान तो क्या, हम लोग भी अफवाह, प्रवाद उड़ा देते हैं कि हा, हा, हम भी भगवान का मजा ले रहे हैं। और हमको अपनी इसमें बड़ी प्रतिष्ठा मालूम पड़ती है, इज्जत मालूम पड़ती है। एक हमारे साधु हैं, बिहार … Read more