श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 25🌹🌹🌹 : Niru Ashra
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 25🌹🌹🌹दैवमेवापरे यज्ञं योगिनः पर्युपासते |ब्रह्मग्नावपरे यज्ञं यज्ञेनैवोपजुह्वति || २५ || दैवम् – देवताओं की पूजा करने में; एव – इस प्रकार; अपरे – अन्य; यज्ञम् – यज्ञ को; योगिनः – योगीजन; पर्युपासते – भलीभाँति पूजा करते हैं; ब्रह्म – परमसत्य का; अग्नौ – अग्नि में; अपरे – … Read more