श्रीकृष्णकर्णामृत – 61 : : नीरु आशरा
श्रीकृष्णकर्णामृत – 61 “विचित्र सौन्दर्य” एतन्नाम विभूषणं बहुमतं वेषाय शेषंरलं-वक्त्रं द्वि-त्रि-विशेष-कान्ति-लहरी-विन्यास-धन्याधरम् ।शिल्पेरल्पधियामगम्य-विभवै: श्रृङ्गार-भङ्गी-मयं-चित्रं चित्रमहो विचित्रमहहो चित्र विचित्रं महः ॥५६॥ हे साधकों ! दिव्य ‘रस राज्य’ की यात्रा पर हम लोग हैं ……पूर्व में बताया जा चुका है कि ये रस राज्य कोई और नही श्रीवृन्दावन ही है । इसी श्रीवृन्दावन में नाना प्रकार की भाव … Read more