🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(104-2), “श्रीकृष्णसखा ‘मधुमंगल’ की आत्मकथा-4”, श्री भक्तमाल (105) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra
Niru Ashra: 🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..1️⃣0️⃣4️⃣भाग 2 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।। अब बारी थी दसवीं बार सिर को काटकर चढानें की …………रावण रक्त से नहा गया था ………पर उसे इसकी क्या परवाह ! उसे तो तप करके विधाता को रिझाना … Read more