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July 2, 2025 11:22 am

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 145 !!(1),रामतत्त्व के शक्ति पुंज,!! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !! & श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 145 !!(1),रामतत्त्व के शक्ति पुंज,!! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !! & श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

Niru Ashra:  🙏🏻रामतत्त्व के शक्ति पुंज🙏🏻 रावण-वध के पश्चात श्रीराम समुद्र के किनारे एक शिला पर शांत बैठे हैं। तभी एक स्त्री की छाया उन्हें अपने समीप आती दिखाई देती है। वे यकायक ठिठक जाते हैं। सोच में पड़ते हैं कि रणक्षेत्र में स्त्री का आगमन क्यों और कैसे ? राम इस भाव से स्वयं … Read more

“आयुष्मान कार्ड- रिन्यूवल एवं नया कार्ड बनाने के लिए विशेष कैम्प” – जिसका संचालन दमन जिल्ला बीजेपी प्रमुख एव नगर पालिका प्रमुख श्री अस्पि भाई दमनिया जी की देख रेख में की जा रही है l

“आयुष्मान कार्ड- रिन्यूवल एवं नया कार्ड बनाने के लिए विशेष कैम्प” – जिसका संचालन दमन जिल्ला बीजेपी प्रमुख एव नगर पालिका प्रमुख श्री अस्पि भाई दमनिया जी की देख रेख में की जा रही है l

“आयुष्मान कार्ड- रिन्यूवल एवं नया कार्ड बनाने के लिए विशेष कैम्प” – – –आयुष्मान कार्ड का रीन्यूवल एव नया कार्ड बनाने की प्रक्रिया आपके वार्ड में विशेष कैम्प के द्वारा किया जा रहा है, जिसका संचालन दमन जिल्ला बीजेपी प्रमुख एव नगर पालिका प्रमुख श्री अस्पि भाई दमनिया जी की देख रेख में की जा … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 144 !!(3),!! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !!,महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (121)& श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 144 !!(3),!! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !!,महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (121)& श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 144 !! श्रीराधारानी द्वारा द्रोपदी को “प्रेमतत्व” की शिक्षाभाग 3 🌹🙏🌹🙏🌹 कौन सी आफ़त आगयी थी……..जो अपनें प्रेमास्पद को इतना कष्ट दिया तुमनें……….श्रीराधारानी भाव में बोल रही थीं । क्या होता ? ये शरीर ही तो नग्न होता………फिर क्या फ़र्क पड़ता है ………..ये शरीर तो एक दिन राख बनेगा …..या फेंक देंगें तो … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 144 !!(2), !! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !!, महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (120)& श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 144 !!(2), !! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !!, महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (120)& श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra

] Niru Ashra: !! निकुँजोपासना का सिद्धान्त !! ( “सिद्धान्त सुख” – 37 ) गतांक से आगे – ॥ पद ॥ मन की रुचि सुचि सेवा करहीं। छिन-छिन प्रति ऐसें अनुसरहीं ॥भावत जो सोई ढर-ढरहीं। निरखि नवलछबि आनँद भरहीं ॥कोउ सखि कछू कोउ कछु लीयें। सब ठाढ़ी सनमुख रुख दीयें ॥तन मन प्रान समर्पन कीयें। … Read more