श्रीकृष्णकर्णामृत – 68 Niru Ashra
श्रीकृष्णकर्णामृत – 68 बलि जाऊँ लला… वक्षः स्थले च विपुलं नयनोत्पले च,मन्दस्मिते च मृदुलं मदजल्पिते च,विम्बाधरे च मधुरं मुरलीरवे च,बाल विलास-निधिमाकलये कदा नु ॥६६॥ हे साधकों ! इस दिव्य रसराज्य की यात्रा थोड़ी गम्भीरतापूर्वक कीजिए ….ये दिल्लगी नही है …ये तो जीवन मरण का प्रश्न है ….इसमें अपने प्रियतम के साथ चलना है …हाँ , … Read more