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July 20, 2025 8:51 pm

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 24-( जब कृष्ण को ललिता ने खरी खोटी सुनाई..) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 24-( जब कृष्ण को ललिता ने खरी खोटी सुनाई..) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 24 ( जब कृष्ण को ललिता ने खरी खोटी सुनाई..) गतांक से आगे – वाह रे श्याम सुन्दर ! वाह ! आज मैं आयी बृज से तब मेरे सामने ये रोना धोना ….क्यों ? तुम तो भूल चुके थे वृन्दावन को , हम सबको , फिर अचानक ये क्या हो गया … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !!-जयति जयति जय “प्रेम” भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !!-जयति जयति जय “प्रेम” भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !! जयति जयति जय “प्रेम”भाग 2 यहाँ की वीथियों में …….बृज भूमि में…….तुम देखो उद्धव ! उनके चरण चिन्ह बने हुए हैं…..शंख, चक्र, गदा, कमल, वज्र , अंकुश …..इन सबके चिन्ह हैं…….जहाँ बैठो वहीं चिन्ह बनें हैं……कैसे भूलोगे उसे उद्धव ! पर आप लोग अपनें चिन्तन के विषय को बदल सकती हैं … Read more

“श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 23”-( श्रीकृष्ण के हृदय का उमड़ता प्रवाह ):Niru Ashra

“श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 23”-( श्रीकृष्ण के हृदय का उमड़ता प्रवाह ):Niru Ashra

“श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 23” ( श्रीकृष्ण के हृदय का उमड़ता प्रवाह ) गतांक से आगे – राधा ! राधा ! पास के सरोवर जल के छीटें जब श्रीकृष्ण के मुखमण्डल में ललिता ने डाले ….तब कृष्ण को चेत हुआ था …..उन्होंने राधा ! राधा ! पुकारा । हाँ श्याम सुन्दर ! ललिता ने कृष्ण … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !!-जयति ÷ जय “प्रेम”भाग 1: Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !!-जयति ÷ जय “प्रेम”भाग 1: Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 87 !! जयति ÷ जय “प्रेम”भाग 1 उद्धव ! विचार से ज्यादा महत्व, अनुभव का होता है । श्रीराधारानी के मुखारविन्द से ये वाक्य निकले थे । तुम्हारे सखा, स्वामी के सन्देश का यही अर्थ है ना कि – हम सभी वृन्दावन वासी उसे भूल जाएँ …………. पर उद्धव ! ये कहना जितना … Read more

🪷 अद्भुत कृष्ण भक्त सुधन्वा,भाग-17🪷 : Niru Ashra

🪷 अद्भुत कृष्ण भक्त सुधन्वा,भाग-17🪷 : Niru Ashra

🪷 अद्भुत कृष्ण भक्त सुधन्वा,भाग-17🪷 भगवान भी भक्तों की खूब परीक्षा लेते हैं।परन्तु कच्चे घड़े फूट जाते हैं और पक्के घड़े अमृत से भर जाते हैं और फिर वे दूसरों को अमृत पिलाने वाले बन जाते हैं।बिना तपे तो स्वर्ण भी आभूषण में नहीं ढलता।घृत जब तक यज्ञ की ज्वाला में नहीं डलता, तब तक … Read more

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 22-( विरह में हाहाकार करती वेदना ) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 22-( विरह में हाहाकार करती वेदना ) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 22 ( विरह में हाहाकार करती वेदना ) गतांक – हिलकियों से दोनों रो रहे हैं ….कुछ देर तक रोते रहे …फिर ललिता ही कृष्ण से अलग हुयी । क्यों कि प्रभात होने से पूर्व ही कृष्ण से अपनी बातें कर लेनी हैं ललिता को ……नही तो नगर के लोग जान … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 86 !!-अथातो “प्रेम” जिज्ञासा भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 86 !!-अथातो “प्रेम” जिज्ञासा भाग 3 : Niru Ashra

“श्रीराधाचरितामृतम्” – 86 !! अथातो “प्रेम” जिज्ञासाभाग 3 उद्धव ! तुम कह सकते हो …………कि वो तो तुम लोगों से कहा होगा …..ऐसे ही सांत्वना देनें के लिये …………..तो उद्धव ! उसनें तो अपनें माता पिता से भी ऐसे ही कहा है ……….पूछो नन्द बाबा से ? उद्धव नें इतना अवश्य पूछा – आप कहना … Read more

ધાર્મિક શિવ કથા : ભાગ 241શ્રાવણ વદ અગિયારસ : પંચાક્ષર મંત્ર ૐ નમ: શિવાય : Manoj Acharya

ધાર્મિક શિવ કથા : ભાગ 241શ્રાવણ વદ અગિયારસ : પંચાક્ષર મંત્ર ૐ નમ: શિવાય : Manoj Acharya

ધાર્મિક શિવ કથા : ભાગ 241શ્રાવણ વદ અગિયારસ : પંચાક્ષર મંત્ર ૐ નમ: શિવાયનો અર્થ અને તેના ફાયદાઓ🕉️🌹🕉️🌷🕉️🌻🕉️સૃષ્ટ‌િનો પહેલો ધ્વનિ ૐ એટલે કે ઓમકાર છે પણ આ ધ્વનિ આપવાનું કામ પણ મહાદેવ દ્વારા થયું છે. શાસ્ત્રોમાં આ વાતનો ઉલ્લેખ છે કે શિવપૂજામાં સર્વ સામાન્ય માનવામાં આવેલો પંચાક્ષર મંત્ર મહાદેવે સૌપ્રથમ બ્રહ્માજીને આપ્યો હતો. ૐ નમઃ … Read more

एकादशी दो प्रकार की होती है।-(1)सम्पूर्णा (2) विद्धा : Niru Ashra

एकादशी दो प्रकार की होती है।-(1)सम्पूर्णा (2) विद्धा : Niru Ashra

एकादशी दो प्रकार की होती है। (1)सम्पूर्णा (2) विद्धा सम्पूर्णा:- जिस तिथि में केवल एकादशी तिथि होती है अन्य किसी तिथि का उसमे मिश्रण नही होता उसे सम्पूर्णा एकादशी कहते है।विद्धा एकादशी पुनः दो प्रकार की होती है (1) पूर्वविद्धा (2) परविद्धा पूर्वविद्धा:- दशमी मिश्रित एकादशी को पूर्वविद्धा एकादशी कहते हैं।यदि एकादशी के दिन अरुणोदय … Read more

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 21-( कृष्ण ने जब पहचान लिया ललिता को.. ) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 21-( कृष्ण ने जब पहचान लिया ललिता को.. ) : Niru Ashra

श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 21 ( कृष्ण ने जब पहचान लिया ललिता को.. ) गतांक से आगे – महाराज ! महाराज ! दो बार ललिता ने आवाज दी कृष्ण को ….कृष्ण तो “राधा नाम” लेते ही भाव सिन्धु में अवगाहन करने लगे थे । वो नेत्रों को मूँद कर अपनी प्रिया का स्मरण करने लग … Read more