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February 5, 2025 6:05 pm

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (004) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (004) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (004) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) यह जो रास पञ्चाध्यायी है, इसका मुख्य काम क्या है? इसका मुख्य काम है हमारे जीवन में श्रद्धा का रस, भाव का रस, भक्ति का रस, प्रेम का रस, भगवद् रस, हमारे हृदय में पैदा कर देना। भगवान का रस हमारे हृदय में आवे, तब … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर – 8 “नगर का पुरोहित-पण्डित” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर – 8 “नगर का पुरोहित-पण्डित” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर – 8 “नगर का पुरोहित-पण्डित” ) हे रसिकों ! उस नगर में रहो जहां रस ही रस है । उस नगर में रहो जहां प्रेम है , जहां प्रेम है वहीं जीवन है । प्रेम में चमत्कार है …आप उस चमत्कार का अनुभव करो … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !!-“रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !!-“रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !! “रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 2 वो नई बहु थी…..नई नई आई थी …… वृन्दावन में । उद्धव ! हम सब गोपियाँ मिल कर गयी थीं उसकी “मुँह दिखाई” में । पर ……..उद्धव ! उस बहु नें तो हम सबका अपमान कर दिया ……कहनें लगी ……..मैं कुलटा का मुँह नही … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (003) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (003) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (003) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) वृक्षों से मधुधारा का क्षरण होने लगता है। नदियों की गति रुकजाती है। यह वंशीध्वनि कान में पड़ी तो लगता है कि यह वंशीवाला श्याम, हमारा श्याम है, इतना सुख और कहीं नहीं है! चलो रिश्ता जोड़ेंगे तो इसी के साथ, दिल जोड़ेंगे तो इसी … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर -7 “जब रति ने व्यवस्था सम्भाली”) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर -7 “जब रति ने व्यवस्था सम्भाली”) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर -7 “जब रति ने व्यवस्था सम्भाली”) हे रसिकों ! अब “प्रेम” ने अपने शासन को सम्भाला है । मति को हटा दिया ….मति की बेटी शान्ति भी विवाह करके चली गयी । ये सब देखकर राजा ने शासन व्यवस्था रति को ही सौंप दी … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !!-“रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !!-“रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 92 !! “रुढ़ भावः” – यानि सिर्फ “तू”भाग 1 ओह ! ये स्त्री जात …..वन-जंगल में रहनें वाली …..हँसते हैं उद्धव …..उफ़ ! व्यभिचारी भी…….. असती…….व्यभिचारिणी……..ये गोपियाँ ? उद्धव चकित हैं और चिन्तन कर रहे हैं………. फिर भी ये अहीर की छोरियाँ वहाँ स्थित हैं ……जहाँ बड़े बड़े योगी भी नही पहुँच पाते … Read more