Explore

Search

July 20, 2025 12:40 pm

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 112 !!-द्वारिका लौटे बलराम भाग 1: Niru Ashra

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 112 !!-द्वारिका लौटे बलराम भाग 1: Niru Ashra

🌸🙏🌸🙏🌸 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 112 ! द्वारिका लौटे बलरामभाग 1 💕💕💕💕💕💕हे वज्रनाभ ! दो मास वृन्दावन रहनें के बाद …….बलभद्र अब लौटना चाह रहे हैं…….महर्षि शाण्डिल्य नें वज्रनाभ को कहा । मुझे द्वारिका जानें की कोई शीघ्रता नही है ………..मैं तो यहीं रहना चाहता हूँ ………..श्रीधाम वृन्दावन चिन्मय है ……….ये तीर्थ नही ……ये तो दिव्य मण्डप … Read more

कृष्ण नाम का आनन्द : Kusuma Giridhar

कृष्ण नाम का आनन्द : Kusuma Giridhar

कृष्ण नाम का आनन्द🌹❤️🌹❤️🌹❤️🌹यदि भाव का आनंद लेना है तो पहले अपनी बुद्धि का पात्र खाली कर लें। ताकि आप केवल वहीं पाए जो हम आपको परोसने जा रहे हैं। एक ट्रेन के कोच में कुछ लोग भजन गा रहे हैं।वहीं पास ही बैठी एक मुस्लिम महिला भजन के कारण अपने दोनों कानों पर हाथ … Read more

अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान -श्लोक 4 . 2 & 3 : Niru Ashra

अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान -श्लोक 4 . 2 & 3 : Niru Ashra

: अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान श्लोक 4 . 2 एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदु: |स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप || २ || एवम् – इस प्रकार; परम्परा – गुरु-परम्परा से; प्राप्तम् – प्राप्त; इमम् – इस विज्ञान को; राज-ऋषयः – साधू राजाओं ने; विदुः – जाना; सः – वह ज्ञान; कालेन – कालक्रम में; … Read more

!! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी” !!- भाग – 2 & 3 : Niru Ashra

!! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी” !!- भाग – 2 & 3 : Niru Ashra

: !! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी” !! भाग – 2 गतांक से आगे – या संसार में एक जैसी परिस्थिति नही रहै है । सुख दुःख , हानि लाभ , यश अपयश ….जे सारे द्वन्द आवैं …आवैंगें । इनकूँ अपने कर्मन कौ फल और ठाकुर जी कौ मंगल विधान मान कै सहते … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (046) & (047) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (046) & (047) : Niru Ashra

: महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (046) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) गोपियों ने वंशी-ध्वनि सुनी एक जगह भागवत् में लिखा है कि जब बाँसुरी लेकर श्रीकृष्ण उसमें अपना स्वर फूँकते हैं तो- जातहर्ष उपरम्भति विश्वम्। वंशी की ध्वनि से मानो संपूर्ण विश्व का आलिंगन करते हैं। हाथों से आलिंगन नहीं करते हैं, अपनी वंशी ध्वनि … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !!-वो ममता की मारी – यशोदा मैया भाग 2 & 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !!-वो ममता की मारी – यशोदा मैया भाग 2 & 3 : Niru Ashra

🌻🌻🌻🌻 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !! वो ममता की मारी – यशोदा मैयाभाग 2 पर तू कन्हाई नही है………..गम्भीर होकर सोचनें लगीं । दाऊ ……….दाऊ भैया ! हँसी यशोदा जी । तू नही गया वन ? गैया चरानें नही गया ? अकेले अपनें छोटे भाई को भेज दिया ………..बलराम ! तेरा भाई छोटा है ……अकेले नही … Read more

ICC Word Cup पर पैर रखने वाले मिशेल मार्श और तस्वीर पोस्ट करने वाले पैट कमिंस पर लगे आजीवन प्रतिबंध : केशव बटाक

ICC Word Cup पर पैर रखने वाले मिशेल मार्श और तस्वीर पोस्ट करने वाले पैट कमिंस पर लगे आजीवन प्रतिबंध : केशव बटाक

London. २२-११-२०२३ ICC Word Cup पर पैर रखने वाले मिशेल मार्श और तस्वीर पोस्ट करने वाले पैट कमिंस पर लगे आजीवन प्रतिबंध : केशव बटाक

अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान-श्लोक 4 . 1-श्री भगवानुवाच : Niru Ashra

अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान-श्लोक 4 . 1-श्री भगवानुवाच : Niru Ashra

🪻🪻🪻🪻🪻🪻🪻अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🪻🪻🪻🪻🪻🪻श्लोक 4 . 1🪻🪻🪻🪻श्री भगवानुवाचइमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् |विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेSब्रवीत् || १ || श्री-भगवान् उवाच – श्रीभगवान् ने कहा; इमम् – इस; विवस्वते – सूर्यदेव को; योगम् – परमेश्र्वर क्र साथ अपने सम्बन्ध की विद्या को; प्रोक्तवान् – उपदेश दिया; अहम् – मैंने; अव्ययम् – अमर; विवस्वान् – विवस्वान् (सूर्यदेव … Read more

!! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी”!! : Niru Ashra

!! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी”!!  : Niru Ashra

!! एक अनूठा प्रेमी – “वो कल्लू बृजवासी”!! “जा दिन सौं मनुष्य ठाकुर जी कौ आश्रय लै कें भजन में लग जाय…वाही दिन सौं वाकौ शरीर ठाकुर जी कौ है जाये है । वाकु ठाकुर जी अपनौ मान लेय हैं । कछु करिवे की आवश्यकता ही नही हैं …बस , ठाकुर जी कूँ अपनौं मान … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !!-वो ममता की मारी – यशोदा मैया…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !!-वो ममता की मारी – यशोदा मैया…भाग 1 : Niru Ashra

🌻🌻🌻🌻 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 111 !! वो ममता की मारी – यशोदा मैया…भाग 1 कल दिन भर वर्षा होती रही …….मैं अपनें नन्दभवन में ही रहा । बाहर जानें का मतलब नही था ……….वर्षा घनघोर थी …… । पर बाहर न जानें से मुझे जो दर्शन हुआ वात्सल्य का ……..यशोदा मैया के वात्सल्य का ………..वो अद्भुत … Read more