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July 21, 2025 6:15 am

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-बरसानें में बलराम…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-बरसानें में बलराम…भाग 1 : Niru Ashra

🍃🍁🍃🍁🍃🍁 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !! बरसानें में बलराम…भाग 1 इन्दु ! सुन ना ! देख बरसानें में आज दाऊ जी आरहे हैं सन्ध्या में …….आज मैं प्रसन्न हूँ …. दाऊ को भी उनके अनुज नें ही भेजा है ऐसा श्रीदामा भैया बता रहे थे …….हमारी याद आती है उन्हें तभी तो भेजा है ना अपनें … Read more

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: अलक्ष्मी के चौदह पुत्र हैं। इनके चौदहवें पुत्र का नाम दुःसह है। जन्म लेते ही यह भूख प्यास से पीड़ित, चीथड़े लपेटे, मुंह नीचे किए हुए और दुखी होकर पितामह ब्रह्मा जी के पास जाता है। अलक्ष्मी पुत्र दुःसह ब्रह्मा जी से कहता है कि मुझे निवास स्थान … Read more

અન્નકૂટોત્સવ [વિ.સ.:૨૦૭૯, આશો વદી અમાસ] : નીરુ આશરા

અન્નકૂટોત્સવ [વિ.સ.:૨૦૭૯, આશો વદી અમાસ] : નીરુ આશરા

👏🌄🌻 અન્નકૂટોત્સવ[વિ.સ.:૨૦૭૯, આશો વદી અમાસ]☘️☘️☘️🛕☘️☘️☘️⬛🟡🌷🤍🌹🟡⬛🪔🔴🏮🪔🏮🟡🪔આ સાથે અન્નકૂટોત્સવ વિગત (ટુંકમાં)ત્થા ચિત્રજી.🎷🥁🎻🎺🎹🎼અન્નકૂટ ના પ્રકાર માં યજ્ઞની ભાવના🌷 શ્રી મહાપ્રભુજીએ દર્શાવી અને 🌷શ્રીગુંસાઈજીએ તેને વિસ્તારી. દિવાળીના બીજે દિવસે અન્નકૂટનો આ ઉત્સવ જો ન મનાવી શકાય હોય તો કારતક સુદ પૂનમ ‘🌝’ સુધીમાં મનાવાય છે કોઈ કારણસર તેમ ન બને તો મહાસુદ ચોથ સુધી માં કરવાની પણ પરંપરા છે … Read more

. ધોકો – પડતર દિવસ એટલે શું.? : નીરુ આશરા

. ધોકો – પડતર દિવસ એટલે શું.? : નીરુ આશરા

. ધોકો – પડતર દિવસ એટલે શું.? આજે ધોકો અથવા પડતર દિવસ છે. ભારતીય પંચાંગ પ્રમાણે ચંદ્રની કળાઓને ૩૦ ભાગમાં વહેચવામાં આવી છે જ્યારે હકીકતમાં ચંદ્ર એ ૩૦ કળાઓને ૩૦ દિવસ કરતા ઓછા સમયમાં પુર્ણ કરી લે છે. આથી દર મહીને પંચાંગમાં એકાદ તિથીનો ક્ષય કે વૃદ્ધિ થતી જોવા મળે છે. વ્યાવહારીક સરળતા ખાતર ચંદ્રની … Read more

अध्याय 3 : कर्मयोग -श्लोक 3 . 33 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग -श्लोक 3 . 33 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 33 सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि |प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति || ३३ || सदृशम् – अनुसार; चेष्टते – चेष्टा करता है; स्वस्याः – अपने; प्रकृतेः – गुणों से; ज्ञान-वान् – विद्वान्; अपि – यद्यपि; प्रकृतिम् – प्रकृति को; यान्ति – प्राप्त होते हैं; भूतानि – सारे प्राणी; … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 54 – “जहाँ निरभिमान ही अभिमान है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 54 – “जहाँ निरभिमान ही अभिमान है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 54 – “जहाँ निरभिमान ही अभिमान है” ) गतांक से आगे – यत्रागर्वत्वमेव सगर्वत्वम् ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) निरभिमानता को ही अभिमान समझा जाता है । *हे रसिकों ! इस प्रेमनगर में प्रेम की उल्टी धार बह चली है … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..भाग 3 : Niru Ashra

🙏🙏🙏🙏🙏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !! ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..भाग 3 दाऊ ! फिर तो नहानें मत जाना समुद्र में ……………डूब गए तो ! मनसुख सजल नयन से बोला – दाऊ ! तू भले ही समुद्र नहा लियो …….क्यों की तू तो शक्तिशाली है ………..तू तो बड़ा है ……. पर हमारे कन्हैया को … Read more

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 32 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 32 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 32 ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम् |सर्वज्ञानविमुढ़ांस्तान्विद्धि नष्टानचेतसः || ३२ || ये – जो; तु – किन्तु; एतत् – इस; अभ्यसूयन्तः – ईर्ष्यावश; न – नहीं; अनुतिष्ठन्ति – नियमित रूप से सम्पन्न करते हैं; मे – मेरा; मतम् – आदेश; सर्व-ज्ञान – सभी प्रकार के ज्ञान में; विमूढान् … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 53 – “जहाँ भूलना ही याद करना है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 53 – “जहाँ भूलना ही याद करना है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 53 – “जहाँ भूलना ही याद करना है” ) गतांक से आगे – यत्र विस्मरणमेव स्मरणम् ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) भूल जाना ही याद रखना है । *हे रसिकों ! प्रीतम के सिवा सब भूलने लगो तो समझना कि … Read more