!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेम नगर 45 – “जहाँ बिना हाथ वाले ही हाथ वाले हैं”) : Niru Ashra
!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 45 – “जहाँ बिना हाथ वाले ही हाथ वाले हैं”) गतांक से आगे – यत्राबाहव एव सहस्र बाहव : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) बिना हाथ वाले ही हजार हाथ वाले हैं ।। ****हे रसिकों ! “प्रेम पत्तनम्” को ध्यान … Read more