महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (057) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (057) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) जो जैसिह तैसेहि उठ धायीं-2 हृदय में सोई हुई चीज का उल्लेख करें। कृष्ण कृषक हैं किसान हैं। एक सज्जन आये कृष्ण के पास, बोले- मैं बिलकुल निर्वासन हँ, श्रीकृष्ण। मुझे तत्त्वज्ञान हो गया है, मेरे मन में कोई वासना नहीं है। कृष्ण बोले- अच्छा; … Read more