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July 8, 2025 5:39 am

उद्धव गोपी संवाद – भ्रमर गीत ४१ एवं ४२

उद्धव गोपी संवाद – भ्रमर गीत ४१ एवं ४२

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)४१ एवं ४२ कोहू कहै अहौ,कहा दोष सिसुपाल नरेसै।ब्याह करन को गयौ,नृपति भीष्म के देसैं।।दल बल जोरि बरात कों,ठाड़ौ हो छवि बाढ़ि।इन्ह छल करि दुलही हरी,छुधित ग्रास मुख काढ़ि।।आपने स्वारथी।।भावार्थ:-कोई कहे कि अरे राजा शिशुपाल का क्या दोष था,वह तो राजा भीष्मक के यहां ब्याह करने को गये थे ‌। उनकी … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( त्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – मैं ग्रहस्थ आश्रम का त्याग करूँगा …ये मेरा निश्चय है । केशव भारती सन्यासी महाशय से गुप्त मन्त्रणा का ये परिणाम हुआ कि …निमाई ने अब दृढ़ निश्चय कर लिया….मैं सन्यास आश्रम स्वीकार करूँगा ही । आज सुबह से ही … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! – “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! – “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 “ब्रह्म विद् ब्रह्मैव भवति”……..यही नियम है वज्रनाभ ! जो जिसका चिन्तन तन्मय होकर करता है ….वह वही बन जाता है । ब्रह्म का चिन्तन करनें वाले यह कह उठते हैं ……..मैं ही ब्रह्म हूँ । पर ज्ञानी को उस स्थिति में पहुंचनें में समय लगता … Read more

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद(भ्रमर गीत)३९ एवं ४० कोहू कहै,इन्ह परसराम व्है माता मारी।फरसा -कंधा-धारी,भूमि -छत्रिन्ह संघारी।।सोंनित कुंड भराई कें,पोखे अपने पित्र।इन्ह के निरदै रुप में,कछु हू नाहिं विचित्र।।बिलग कहा मानिऐं।।भावार्थ:-गोपियां कह रही हैं कि, कोई कहते हैं कि इन्होंने परशुराम होय कै,अपनी माता को मारा था और फरसा कंधे पर धारण करके पूरी भूमि को क्षत्रियों … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- नवविंशति अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- नवविंशति अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( नवविंशति अध्याय:) गतांक से आगे – पिता जी ! विष्णुप्रिया के यहाँ आज सनातन मिश्र जी आये हैं …विष्णुप्रिया उनको देखती ही दौड़ पड़ती है । अपने हृदय से लगाकर भावुक हो उठते हैं सनातन मिश्र जी ….शचि देवि आदर करके जल आदि देती हैं …..वो प्रणाम करके … Read more

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3 : Niru Ashra

!!”श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3  : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !! प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 3 श्याम सुन्दर ! ओ श्याम सुन्दर ! हाँ क्या है ? श्याम सुन्दर ! मेरे केश बिखर गए हैं इन्हें बाँध दो ! श्याम सुन्दर ! ओ ! फिर दूसरी गोपी नें पुकारना शुरू किया । मेरे नाचते नाचते पसीनें आरहे हैं……अपनी पीताम्बरी से हवा … Read more

વર્લ્ડ હેરિટેજ ડે (World Heritage Day) દર વર્ષે ’18 એપ્રિલ’ના રોજ ઉજવાય છે : Manoj Acharya

વર્લ્ડ હેરિટેજ ડે (World Heritage Day) દર વર્ષે ’18 એપ્રિલ’ના રોજ ઉજવાય છે : Manoj Acharya

વર્લ્ડ હેરિટેજ ડે (World Heritage Day) દર વર્ષે ’18 એપ્રિલ’ના રોજ ઉજવાય છે.સંયુક્ત રાષ્ટ્રની એક સંસ્થા યુનેસ્કોએ આપણા પૂર્વજોએ આપેલા વારસાને અમૂલ્ય ગણીને અને તેને સુરક્ષિત અને જાળવી રાખવાના ઉદ્દેશ્યથી વિશ્વ વિરાસત દિવસની ઉજવણી કરવાનું નક્કી કર્યું હતું. કોઈપણ રાષ્ટ્રનો ઈતિહાસ તેના વર્તમાન અને ભવિષ્યનો પાયો હોય છે. જે દેશનો ઈતિહાસ જેટલો ગૌરવશાળી હશે તેટલું … Read more

उद्धव गोपी संवाद:भ्रमर गीत ३७ एवं ३८ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:भ्रमर गीत ३७ एवं ३८ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:भ्रमर गीत३७ एवं ३८ कोहू कहै,ए परम धरम स्त्री जित पूरे।लछ-लाघव-संधान धरें,आयुध अति सूरें।।सीता जू के कहे तें,सूपनखा पै कोपि।छेदे अंग विरूप करि,लोंगन लज्जा लोपि।।कहा ताकी कथा।।भावार्थ:गोपियां कह रही हैं कि, कोई तो इनको इन्द्रजीत और धरम के पक्के कहते हैं और इनके भ्राता लक्ष्मण अस्त्र शस्त्र के साथ रहते हैं। सीता जी … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- अष्टाविंशति अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!- अष्टाविंशति अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( अष्टाविंशति अध्याय: ) गतांक से आगे – मैं ऐसे नही जाऊँगी पृथ्वी लोक ! प्यारे , मुझे पृथ्वी लोक ले जाना है तो साथ में श्रीवृन्दावन , गिरिराज पर्वत यमुना ये सब भी जायेंगे ….तभी मैं पृथ्वी लोक जाऊँगी । मैं श्रीवृन्दावन के बिना रह नही सकती ….मैं … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ? भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !!-प्रेम में “मैं” कहाँ ? भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 38 !! प्रेम में “मैं” कहाँ ?भाग 2 महर्षि शाण्डिल्य नें वज्रनाभ को समझाया …. ….अहंकार बाधक है प्रेम मार्ग में । तो क्या गोपियों के मन में अहंकार आया ? हाँ वज्रनाभ ! महर्षि नें कहा । कैसा अहंकार गुरुदेव ? और फिर क्या श्रीश्याम सुन्दर नें उन्हें छोड़ दिया……त्याग दिया ? … Read more