उद्धव गोपी संवाद :- ( भ्रमर गीत)२१ एवं २२ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद:- ( भ्रमर गीत)२१ एवं २२ माया के गुनं और,और गुन हरि के जानों।उन्ह गुंन कों इन्हं माहिं,आनि काहे को सानों।।जाके गुन औ रूप कौ,जानिं न पायौ भेद।तासों निरगुन बृह्म कों,वदत उपनिषद वेद।।सुनों ब्रजनागरी।उद्धव जी गोपियों से कह रहे हैं कि जितने भी गुण है जैसे सत्व गुण, रजोगुण, तमोगुण आदि सब माया … Read more