Explore

Search

July 20, 2025 4:45 pm

श्रीदमणिया माछी महाजन ने यूके में नई पीढ़ी को ‘सनातन मूल्यों’ से अवगत कराने का उठाया बीड़ा, केशव बटाक ने सराहा

श्रीदमणिया माछी महाजन ने यूके में नई पीढ़ी को ‘सनातन मूल्यों’ से अवगत कराने का उठाया बीड़ा, केशव बटाक ने सराहा

London २१-११-२०२३श्रीदमणिया माछी महाजन ने यूके में नई पीढ़ी को ‘सनातन मूल्यों’ से अवगत कराने का उठाया बीड़ा, केशव बटाक ने सराहा

अध्याय 3 : कर्मयोग🪻🪻🪻श्लोक 3 . 43🪻🪻 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग🪻🪻🪻श्लोक 3 . 43🪻🪻 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग🪻🪻🪻🪻🪻श्लोक 3 . 43🪻🪻🪻🪻 एवं बुद्धे: परं बुद्ध्वा संस्ताभ्यात्मानमात्मना |जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् || ४३ || एवम् – इस प्रकार; बुद्धेः – बुद्धि से; परम् – श्रेष्ठ; बुद्ध्वा – जानकर; संसत्भ्य – स्थिर करके; आत्मानम् – मन को; आत्मना – सुविचारित बुद्धि द्वारा; जहि – जीतो; शत्रुम् – शत्रु को; महा-बाहो … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (045) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (045) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (045) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) गोपियों ने वंशी-ध्वनि सुनी कहा- क्यों? तो बोले- उसकी मुक्ति में तो कोई बाधा नहीं पड़ती, मुक्त तो है, परंतु यदि पहले से उपासना का संस्कार है तब तो ‘नेति-नेति’ से निषेध के अनन्तर स्वरूप-स्थिति होने पर इस सच्चिदानन्दघन सगुण ब्रह्मा का आविर्भाव तत्त्ववित् के … Read more

!! इति “प्रेमपत्तनम्” !!-(प्रेमनगर – उपसंहार ): Niru Ashra

!! इति “प्रेमपत्तनम्” !!-(प्रेमनगर – उपसंहार ): Niru Ashra

!! इति “प्रेमपत्तनम्” !! ( प्रेमनगर – उपसंहार ) गतांक से आगे – हे रसिकों ! “प्रेमपत्तनम्” राज्य में अपनी ओर से “मधुरमेचक” नामक राजा की महारानी रति ने नगर के नियमों में पूरी तरह हेर फेर कर दी थी …सब उलट पुलट कर दिया था । जैसा कि आप लोगों ने इसे पढ़ा ….बाहर … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 110 !!-श्रीराधा की अद्भुत विस्मृति…भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 110 !!-श्रीराधा की अद्भुत विस्मृति…भाग 3 : Niru Ashra

🙌🌹🙌🌹🙌 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 110 !! श्रीराधा की अद्भुत विस्मृति…भाग 3 दूर है ना द्वारिका …………….बहुत दूर ! पर मैं कैसे जाऊँ वहाँ ? दूर है तो मैं कैसे जाऊँ ? फिर हँसी ………उन्माद चरम पर पहुँचा श्रीराधारानी का । पर मैं उन्हें देखूंगी …………..दूर से देखूंगी ………….उनकी सेवा होती है कि नही ……मैं देखूंगी ……….उनके … Read more

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વ : Manoj Acharya

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વ : Manoj Acharya

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વભાગવત્‌ પુરાણ પ્રમાણે આશરે પાંચ હજાર વર્ષ પૂર્વ ગોકુળમાં નૂતન વર્ષથી અન્નકૂટોત્સવનો પ્રારંભ થયો છે. શ્રી નંદરાયજી એમ માનતા હતા કે ઈન્દ્ર વરસાદનો રાજા છે તેથી તે દર વર્ષે વરસાદ વરસાવે અને આપણું ભરણપોષણ કરે છે. આથી તેઓ દર વર્ષે બેસતા વર્ષના દિવસે યજ્ઞ કરીને ઈન્દ્રની … Read more

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 39 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 39 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 39 आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा |कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च || ३९ || आवृतम् – ढका हुआ; ज्ञानम् – शुद्ध चेतना; एतेन – इससे; ज्ञानिनः – ज्ञाता का; नित्य-वैरिणा – नित्य शत्रु द्वारा; काम-रूपेण – काम के रूप में; कौन्तेय – हे कुन्तीपुत्र; दुष्पूरेण – कभी भी तुष्ट न … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) भगवान ने वंशी बजायी अब भला। भगवान किसी को कहें कि तुम मेरे प्राण, तुम मेरे जीवन, तुम मेरे प्यारे, तुम मेरे सर्वस्व, और उसका दिल पिघल न जाय, पानी-पानी न हो जाय, तो कोई पत्थर ही होगा। लेकिन आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए- यह … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ) गतांक से आगे – यत्रासतीत्वमेव सतित्वम् ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेमनगर में ) असती ही सती कहलाती है । *हे रसिकों ! ये प्रेमनगर है यहाँ जो व्यभिचारिणी है …जिसे संसारी लोग “असती” कहते हैं … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! – कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! – कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 2 : Niru Ashra

👏👏👏👏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! कन्हाई की वर्षगाँठभाग 2 वृन्दावन मुझे याद ही नही रहा……..मैं तो चातुर्मास, किसी पवित्र तीर्थ में वास करनें के लिए निकला था…….पर मुझे कन्हैया नें कहा – दाऊ ! अपना वृन्दावन किसी तीर्थ से कम है क्या ? ओह ! मैने वृन्दावन के बारे में सोचा नही था……इसलिये नही सोचा … Read more