श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹श्लोक 4 . 13🌹: Niru Ashra
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 : दिव्य ज्ञान🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 4 . 13🌹🌹🌹🌹चातुवर्ण्यं मया सृष्टं गुण कर्मविभागशः |तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम् || १३ || चातुः-वर्ण्यम् – मानव समाज के चार विभाग; मया – मेरे द्वारा; सृष्टम् – उत्पन्न किये हुए; गुण – गुण; कर्म – तथा कर्म का; विभागशः – विभाजन के अनुसार; तस्य – उसका; कर्तारम् – जनक; … Read more