🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(35-2),श्रीकृष्णकर्णामृत – 7 & श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
Niru Ashra: श्रीकृष्णकर्णामृत – 7 “प्रार्थना” मधुरतर-स्मितामृत-विमुग्ध-मुखाम्बुरुहं, मद-शिखि-पिच्छ-लाञ्छित-मनोज्ञ-कच-प्रचयम् । विषय-विषामिष-ग्रसन-गृध्नुनि चेतासि मे, विपुल-विलोचनं किमपि धाम चकास्तु चिरम् ।। ५ ।। साधकों ! ये प्रार्थना है अपने प्यारे से ….और क्या अद्भुत प्रार्थना है । याद रहे प्रार्थना बहुत बड़ी साधना है …..जो काम करने से नही बनते वो काम प्रार्थना से बन जाते हैं …..इसलिए … Read more