उद्धव गोपी संवाद:( भ्रमर गीत)३५ एवं ३६ – Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद:( भ्रमर गीत)३५ एवं ३६ कोहू कहै ए निठुर, इन्हें पातक नहीं व्यापै।पाप-पुंन के करनहार,ए आप-हि-आपैं।।इन्ह के निरदै रूप में,नाहिंन कोऊ चित्र।पै प्यावत प्रानन हरे,पुतनां बाल चरित्र।।मित्र ए कौन के ?भावार्थ: कोई गोपी कह रही है कि ये तो निठुर हैं, इन्हें पातक नहीं लगै अर्थात इन्हें किसी की कोई परवाह नहीं,ये आप … Read more