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November 21, 2024 10:19 pm

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (011) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (011) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (011) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास के हेतु, स्वरूप और काल श्रीमद्भागवत से जब हम जाँचत हैं कि कितनी उम्र के साथ यह लीला हुई; तो सातवें बरस की उमर में गोवर्धन – धारण किया था। ‘यः सप्तहयनो बालः’- साफ-साफ लिखा है। और गोवर्धन धारण के पहले ही चीरहरण हो … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (010) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (010) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (010) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास की भूमिका एवं रास का संकल्प -भगवानपि०- तो आओ लीला प्रारम्भ कर देते हैं- भगवानपि ता रात्री शरदोत्फुल्लमल्लिका: ।वीक्ष्य रन्तु मनश्चक्रे योगमायामुपाश्रिताः ।। भगवान माने बहुत मीठे। भगवान शब्द का अर्थ है मीठा। गुलाबजामुन, रसगुल्ला जैसा मीठा नहीं। यह महापुरुष होने पर भी, पुरुषोत्तम … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 17 – “नगर में ‘अद्वैत’ है” )-: Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 17 – “नगर में ‘अद्वैत’ है” )-: Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 17 – “नगर में ‘अद्वैत’ है” ) गतांक से आगे – यत्र सह: सहस्यसंज्ञावेवाद्वैतपरिनिष्ठितौ शंकरशिष्यौ ।यत्राभिमता प्रचुरद्वचारमध्वमता ऊष्मकभामादिदर्शननामानस्तदंतेवासिन: ।। अर्थ – श्रीशंकराचार्य के दो शिष्य यहाँ स्थाई रूप से निवास करते हैं । उन शिष्यों के नाम हैं – सहा और सहस्य । इन … Read more

શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા..ભાગ – 20 & 21 : Niru Ashra

શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા..ભાગ – 20 & 21 : Niru Ashra

$$$👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾$$$ શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા..ભાગ – ૨૦ 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁[10/5, 10:09 AM] Niru Ashra: $$$👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾$$$ શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા..ભાગ – ૨૧ 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા.ભાગ – 18 & 19 : Niru Ashra

શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા.ભાગ – 18 & 19 : Niru Ashra

: $$$👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾$$$ શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા.ભાગ – ૧૮ 🔸જય જય શ્રી વલ્લભ પ્રભુ 🔸🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁a: $$$👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾🙇🏽‍♀️👏🏾$$$ શ્રી વ્રજ ચોર્યાસી કોસ માનસી પરિક્રમા..ભાગ – ૧૯ શ્રી ગિરિરાજજીની પરિક્રમા : વ્રજની યાત્રાએ આવતા સૌ વૈષ્ણવો યથાશક્તિ શ્રી ગિરિરાજજીની પરિક્રમા અવશ્ય કરે છે.મોટાભાગના વૈષ્ણવો ચાલીને પરિક્રમા કરે છે. કેટલાંક વિરક્તો, ગૃહસ્થો અને ગોસ્વામી બાલકો દંડવતી પરિક્રમા કરે … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 16 – “जहाँ विराजत मोहन राजा” )-Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 16 – “जहाँ विराजत मोहन राजा” )-Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 16 – “जहाँ विराजत मोहन राजा” ) गतांक से आगे – मूलं मुदां रतिपतेर्मनसोनुकूलमाचूलमूलमरुणं धरणीगुणेन ।नैश्रेयसाकरममन्दमरन्दसान्द़ं सन्ध्याघनोपमघनोपवनं विभाति ।। अर्थ – उस नगर के बीच में मधुर मेचक ( श्याम सुन्दर ) और उनकी महारानी रति ( श्रीराधारानी ) का दिव्य महल है …उस … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 95 !!-उद्धव की वृन्दावन से अश्रुपूर्ण विदाई…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 95 !!-उद्धव की वृन्दावन से अश्रुपूर्ण विदाई…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 95 !! उद्धव की वृन्दावन से अश्रुपूर्ण विदाई…भाग 1 हे उद्धव ! तुम्हीं नें कहा था , जब तुम आये ही थे मथुरा से …….. कि “हे पितृचरण ! श्रीकृष्ण ईश्वर हैं “ तुम कहते हो तो होगा ………क्यों की शास्त्रों को तुम जानते हो …..हम नहीं …….धर्म क्या कहता है …….ये भली … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (009) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (009) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (009) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास की भूमिका एवं रास का संकल्प -भगवानपि०- प्रेमाद्वयोरसिकयो रविदीप एव, हृद्वेश्म भासयति निश्चल एष भाति ।त्वाराधयं वदनतस्तु विनिर्गतश्चेद्, निर्याति शान्तिमथवा तनुतामुपैति ।। यह प्रेम जो है, वह प्रेयसी और प्रेय दोनों के हृदय मंदिर में रहता है और दीपक के समाना प्रज्वलित होता है। … Read more

!! एक अद्भुत काव्य- “प्रेम पत्तनम्” !!( प्रेम नगर 15 – “नगर का वर्णन” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य- “प्रेम पत्तनम्” !!( प्रेम नगर 15 – “नगर का वर्णन” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 15 – “नगर का वर्णन” ) गतांक से आगे – यत्रान्तर्बहिरन्त: पद्मरागशकलकलधौतकलितान्यतिललितानि सकलान्येव सद्मानि ।यत्र विशालविद्रुमद्रुमशकलघटिता कलधौतकीलशृंखलादिजटिता सर्वत्रैव विकटा कपाटपटली ।यत्र सद्मशिखरोपरिसुवर्णरसरंजितैव पताकावली ।। अर्थ – जहाँ पद्मराग नामक ( लाल ) मणि उस नगर के भवन गृह प्रासाद आदि में लगे हुए हैं … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !!-उद्धव को आज छ महिनें हो गए-भाग 3:Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !!-उद्धव को आज छ महिनें हो गए-भाग 3:Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 94 !! उद्धव को आज छ महिनें हो गए …भाग 3 मैं रोता रहा……..और उस कदम्ब को गले से लगाता रहा । आज वर्षा रुकनें वाली नही लगती……..खूब बारिश हो रही है । उद्धव कदम्ब वृक्ष को गले से लगाकर जानें लगे ……………. फिर एक बार कदम्ब को मुड़कर देखा था उद्धव नें … Read more