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July 20, 2025 8:21 am

संघ प्रदेश दमण में जम्मू कश्मीर एवंलद्दाख के स्थापना दिवस का आयोजन

संघ प्रदेश दमण में जम्मू कश्मीर एवंलद्दाख के स्थापना दिवस का आयोजन

संघ प्रदेश दमण मेंजम्मू-कश्मीर एवंलद्दाख के स्थापनादिवस का आयोजनदमण : संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली औरदमण एवं दीव के माननीय प्रशासक श्री प्रफुल पटेल जी के कुशल नेतृत्व में एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत संघ प्रदेश दमण में जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रमवीवीआईपी सर्किट हाउस में … Read more

🔥घड़ी की सुइयां🔥 : Hiran Vaishnav

🔥घड़ी की सुइयां🔥 : Hiran Vaishnav

🔥घड़ी की सुइयां🔥 रामु अपने छोटे से कमरे में गहरी नींद में सोया हुआ था। कमरे के शांत वातावरण में केवल घडी की टिक-टिक की आवाज गूंज रही थी। टेबल पर रखी घड़ी की बड़ी सुई जैसे ही छोटी सुई से आकर मिली, उसने पूछा-“अरी कैसी हो छोटी सुई?” “ठीक हूँ बहन, तुम कैसी हो?” … Read more

પ્રકૃતિનું પ્રિસ્ક્રીપ્શન અને ‘૨૦-૫-૩’નો ડોઝ-ડૉ. નિમિત્ત ઓઝા : હિરણ વૈષ્ણવ

પ્રકૃતિનું પ્રિસ્ક્રીપ્શન અને ‘૨૦-૫-૩’નો ડોઝ-ડૉ. નિમિત્ત ઓઝા : હિરણ વૈષ્ણવ

પ્રકૃતિનું પ્રિસ્ક્રીપ્શન અને ‘૨૦-૫-૩’નો ડોઝ-ડૉ. નિમિત્ત ઓઝા રૂમમાં એ.સી, હાથમાં મોબાઈલ, સામે ટીવી અને આંગળીના એક ઈશારે ડીલીવરી એપ દ્વારા મળી જતા મનગમતા ફૂડ છતાં પણ તમે કંઈક મિસ કરો છો ? શું એવું લાગે છે કે જીવનમાં બધું જ હોવા છતાં પણ કંઈક ખૂટે છે ? સંપૂર્ણ આરામદાયક અને સગવડયુક્ત જીવન હોવા છતાં પણ … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (033) : નીરુ આશરા

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (033) : નીરુ આશરા

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (033) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय भगवान तो क्या, हम लोग भी अफवाह, प्रवाद उड़ा देते हैं कि हा, हा, हम भी भगवान का मजा ले रहे हैं। और हमको अपनी इसमें बड़ी प्रतिष्ठा मालूम पड़ती है, इज्जत मालूम पड़ती है। एक हमारे साधु हैं, बिहार … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 44 – “जहाँ अन्धा ही आँख वाला है”) : નીરુ આશરા

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 44 – “जहाँ अन्धा ही आँख वाला है”) : નીરુ આશરા

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 44 – “जहाँ अन्धा ही आँख वाला है”) गतांक से आगे – यत्राचक्षुष एव सहस्रचक्षुष : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) अन्धा ही हजार आँख वाला है । *बाबा ! मुझे मेडिटेशन सिखाइये । पागलबाबा से उन दिनों थोड़ा मुँह … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्”104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी-भाग 2 : નીરુ આશરા

!! “श्रीराधाचरितामृतम्”104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी-भाग 2 : નીરુ આશરા

🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !! गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 2 रंग देवी ! कहाँ हो तुम ? मैं यहाँ अकेले ? रात हो रही है ! ओह रंग देवी ! पता नही क्यों मुझे रात्रि से डर लगता है …..मैं डरती हूँ ……..क्यों की रात्रि को मेरा उन्माद बढ़ जाता है …………और … Read more

A POEM LIED WITHIN ALL OF US…LET US ALL KNOW THE TRUTH.H.K. PATEL: Kusuma Giridhar

A POEM LIED WITHIN ALL OF US…LET US ALL KNOW THE TRUTH.H.K. PATEL: Kusuma Giridhar

A POEM LIED WITHIN ALL OF US…….. LET US ALL KNOW THE TRUTH….…..H.K. PATEL…. રાત આખી જાગવા જેવી હતી, એક વ્યક્તિ ચાહવા જેવી હતી. માત્ર આંસુઓ જ જોયાં છે તમે, આંખ એની વાંચવા જેવી હતી… જીંદગી કશું નહિ પણ ઈશ્વર એ બક્ષેલી યાત્રા છે ક્યારેક સુખ તો ક્યારેક દુખ ભરેલી જાત્રા છે મણાય એટલી માણી … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (032) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय ‘रन्तुं मनश्चक्रे’ का दो अर्थ है- रन्तुं मनः कृतवान् चक्रे माने कृतवान् रमने का मन किया माने रमण का संकल्प किया और दूसरा अर्थ होता है- अमना भगवान् ने ‘रन्तुं मनश्चक्रे के कृतवान् निर्मितवान् मन बनाया। चंद्रमा ने कहा- यह … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-(प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 43 – “जहाँ बिन सिर वाले ही सिर वाले हैं” ) गतांक से आगे – यत्राशिरस एव सहस्रशिरस : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) बिना सिर वाले ही हजार सिर वाले हैं । ****हे रसिकों ! इस प्रेम नगर में … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !!-गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 : Niru Ashra

🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 104 !! गहवर वन में जब “रात” ठहर गयी…भाग 1 गहवर वन…..बरसानें का गहवर वन…..यहीं मिलते थे युगलवर । यहाँ की वृक्ष लताएँ, मोर अन्य पक्षी सब साक्षी हैं…..प्रेम मिलन के । “मैं रंगदेवी” प्रिय सखी श्रीराधारानी की । सारंग गोप और करुणा मैया की लाडिली बेटी …….रंगदेवी मैं । मेरे पिता … Read more