महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (036) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (036) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) रास-रात्रि में पूर्ण चंद्र का दर्शन जिसने न तो चिकोटी की तकलीप देखी और न प्यार का मजा देखा- जिसने यह देखा कि यह हमारा प्यारा है, उसकी क्रिया पर नजर नहीं गयी, उस पर नजर गयी। एक बार तमाचा जड़ दिया उसने और एकबार … Read more