उद्धव गोपी संवाद :-भ्रमर गीत : १७ एवं १८ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद:- ( भ्रमर गीत)१७ एवं १८ करम बुरे जो होईं,जोग क्यौं फिरि कोउ धारैं।पदमांसन सों द्वारि रोकि,इंद्रिन्ह को मारैं।।ब्रह्म अगिन सों सुद्ध ह्वै,सिद्धि समाधि लगाइ।लीन होइ सायुज्य में,जोति ही जोति समाइ।।भावार्थ:-उद्धव जी गोपियों से कह रहे हैं कि करम बुरे हों तो जोग कोई क्यौं धारे। पद्मासन सब द्वार मूंद के इन्द्रियों को … Read more