!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 51 !!-“होरी” – मधुर रस का अद्भुत समर्पण भाग 1 : Niru Ashra
!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 51 !! “होरी” – मधुर रस का अद्भुत समर्पणभाग 1 मधुर रस कहो, या आत्मसमर्पण कहो……..अद्भुत भाव है । पर स्वार्थ कलुषित चित्त मानव ठीक न समझ सके – स्वाभाविक है । हे वज्रनाभ ! मधुररस में अपना सुख, अपनी तृप्ति, अपना सम्मान कुछ है ही नही । इसमें तो अपना उत्सर्ग है … Read more