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November 22, 2024 5:23 pm

!! राधाबाग में – “श्रीहित चौरासी” !! – भूमिका : Niru Ashra

!! राधाबाग में – “श्रीहित चौरासी” !! – भूमिका : Niru Ashra

!! राधाबाग में – “श्रीहित चौरासी” !! ( भूमिका ) बात आज की नही है करीब पाँच वर्ष पूर्व की है …मेरे ऊपर श्रीजी की विशेष कृपा रही कि मुझे नारद भक्ति सूत्र और श्रीहित चौरासी के श्रवण का अवसर मिला …वो भी पागल बाबा जैसे सिद्ध पुरुष के द्वारा । मुझे मित्र भी मिले … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !! – प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !! – प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 3 : Niru Ashra

🙏🙏🌹🙏🙏!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !! प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडीभाग 3 ये संसार नाम रूप में ही तो फंसा है ना ? और नाम रूप, देश काल में है …..और देश काल मन में है ………..अगर मन को ही कोई चुरा ले ….तो “नाम रूप” रूपी ये प्रपंचमय जगत खतम…….देश काल खतम । क्यों की ये … Read more

🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१४🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹-गोपी-मोर भावमय संवाद🪷: Niru Ashra

🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१४🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹-गोपी-मोर भावमय संवाद🪷: Niru Ashra

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१४🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹 🪷 गोपी-मोर भावमय संवाद🪷 🍁 अरे सुन गोपी! प्रभु श्याम अपने मस्तक पर मेरा मोर पंख धराते हैं ये तो तु ही जानती है। देखो मेरे पंखों में अनेकों मनमोहक रंग है। खूबसूरत सौंदर्य है। बहुत ही वजन में हल्का है। अरे सुनो, गोपी-श्याम एक दिन मुझे … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! – पन्चपन्चाशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! – पन्चपन्चाशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!( पन्चपन्चाशत् अध्याय: ) गतांक से आगे – विष्णुप्रिया , शचि देवि जब तक थीं तब तक ये लोगों से मिलतीं थीं….किन्तु जब से महाप्रभु गौरांग भगवान जगन्नाथ में समा गये तब से तो इन्होंने लोगों से मिलना बिल्कुल ही बन्द कर दिया ….गौरांग देव के भक्त आते थे …कान्चना … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !!-प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !!-प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 2 : Niru Ashra

🙏🙏🌹🙏🙏!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !! प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडीभाग 2 हाँ सच्चे दाता कहाँ याद रखते हैं ………..वो तो नकली दानी होते हैं जो एक रूपये भी दें तो दुनिया को बताते हुए चलते हैं ……श्रीराधा रानी मुस्कुराते हुए बोल रही थीं । तो क्या ये घाव मैने दिया है ? श्याम सुन्दर नें श्रीजी … Read more

विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१३🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹👉 गोपियां की व्यथा भाव-२ : Niru Ashra

विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१३🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹👉 गोपियां की व्यथा भाव-२ : Niru Ashra

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१३🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹👉 गोपियां की व्यथा भाव-२ 🪷 यमुनाजी के किनारे सब गोपियाँ ब्रजजन जब मिलते हैं तो सभी अपनी अपनी विरह व्यथा का एक-दूसरे से बातें करते हैं। प्रभु विरह, दुःखसागर में डूबे हैं कौन, किसको सांत्वना देवे समझ नहीं आता है? कौन, कैसे धीरज संतोष करावें। सभी श्याम के … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-चतु:पन्चाशत् अध्यायः Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-चतु:पन्चाशत् अध्यायः Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!( चतु:पन्चाशत् अध्यायः ) गतांक से आगे – हम भक्त हैं …जानते हो भक्त की परिभाषा क्या है ? भक्त उसे कहते हैं जो कभी विभक्त न हो …यानि अपने सनातन प्रियतम को छोड़कर वो कहीं और मन न लगाये । नाम , प्रियतम के नाम के प्रति रुचि हो … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !!-प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !!-प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी भाग 1 : Niru Ashra

🙏🙏🌹🙏🙏!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 47 !! प्रेम की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडीभाग 1 दिया तो प्रियतम नें है ………..फिर दर्द कैसे हुआ …….नही ये तो समस्त दर्दों की दवा दी है …..प्यारे ! तुम्हारे द्वारा मुझे कभी भी दर्द मिल सकता है क्या ? उफ़ ! श्रीराधा रानी को वह जख़्म भी प्यारा लग रहा था ………इसलिये तो … Read more

विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹🪷 गोपियों का व्यथा भाव 🪷🙏 : Niru Ashra

विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹🪷 गोपियों का व्यथा भाव 🪷🙏 : Niru Ashra

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१२🦚🌹 भ्रमर -गीत🌹🪷 गोपियों का व्यथा भाव 🪷🙏 उपर से दो पेरे- बातका असर नहीं पडता गोपियों की व्यथा भावएक सुखी दुःखी-व्यथित हो दूसरी सखी से कह रही मथुरा गये श्याम के दर्शन बिना ऐसा लगता है कितना लम्बा समय हुआ। हम सब अत्यंत दु:खी हैं। अरे सखी रथ में … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिपन्चाशत् अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिपन्चाशत् अध्याय: Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( त्रिपन्चाशत् अध्याय: ) गतांक से आगे – शचि माँ अपने पुत्र से मिलकर लौट आईं ……उन्होंने लौटते ही सबसे प्रथम विष्णुप्रिया की आँखों में देखा था …..पर प्रिया की आँखों में कोई शिकायत नही ….हाँ , कान्चना को शिकायत थी वो जगन्नाथ धाम से नवद्वीप तक गौरांग के … Read more