!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 78 !!-विरह जगावे दरद को – “भ्रमरगीत”भाग 1: Niru Ashra
!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 78 !! विरह जगावे दरद को – “भ्रमरगीत”भाग 1 प्रिय से बिछुड़ना अपनें आपसे बिछुड़ना है …….और जिसनें अपनें आपसे बिछुड़ना नही जाना , वह उस प्यारे के प्रेम का अधिकारी भी नही है ……अरे ! जिसनें अपनें आपको न्यौछावर कर दिया….उसी में इतनी हिम्मत आती है कि …वो अपनें प्रियतम को कुछ … Read more